यहां दुख है, शोक है, दरिद्रता कै निशानी है, यहां रंज है, गम है, बहती जिंदगानी है। यहां दर्द है, गरीबी है, बिटिया सयानी है, हर घर की देखो अब यही कहानी है। यहां मड़हा है, चन्नी है, भुसैला है, सब पानिम डूबा है और सांप विषैला है। यहां घर है, दुआर है, दल्लान है, काका देखो पानी मा फिर भी झल्लान है। आह है, उदासी है, सूना सब रस्ता है, आज देखा बाढ़ मा जीवन केतना सस्ता है। बंद स्कूल है, पानिम डूबी किताब है, साहब के फाइल मा बाढ़ कै तगड़ा हिसाब है। यहां बकरी है, कुत्ता है, गाय है, कराह रहे गरीबन कै हाय है। ना राशन है, ना पानी है, ना चारा है, रमुआ परेशान है, गरीब है, बेचारा है। महतारी है, बाप है, पूरा परिवार है, लड़िका एक हफ्ता से बीमार है। ननकू के दादी कै कान पिरात है, दादा कोने मा बैठा है, खांसत है, रिसियात है। बुखार है, उल्टी है, दस्त है, दवाई बिना सारा गांव पस्त है। मौत है, अकाल है, फैली बीमारी है, हर तरफ देखो कितनी लाचारी है। नेता हैं, अफसर हैं, अव उनकै लंबी- लंबी बात है, फिर भी भूख है, प्यास है, उदास काली रात है। यहां कागज मा बजट है, पैसा है, व्यवस्था है, हकीकत मा सन्नाटा है, पानी मा गायब रस्ता है। यहां मंत्री हैं, ठेका है, बंधा है, लेकिन ई बस कुछ लोगन कै धंधा है। माइक है, माला है, बड़ा-बड़ा वादा है, लेकिन हकीकत मा परेशानी बहुत ज्यादा है। अखबार है, टीवी है, हर खबर मा पानी है, देश के सामने तबाही कै निशानी है। दौरा है, हेलिकॉप्टर है, कार है, फिर भी गरीबन कै हाहाकार है। लखनऊ मा सरकार हैं, मीटिंग है, फरमान है, लेकिन यहाँ गोंडा के बाढ़ मा सब सुनसान है।